पतित पावनी कालिंदी (यमुना) के तट पर भगवान भद्रराज की पावन नगरी नैनबाग में सम्पूर्ण जौनपुर एवं जौनसार क्षेत्र में उच्च शिक्षा की रश्मियां बिखेरने वाले इस महाविद्यालय की स्थापना उत्तराखण्ड शासन द्वारा अगस्त 2001 में की गयी। सन् 2001 से कला संकाय के (हिन्दी, अंग्रेजी, इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र) विषयों के अन्तर्गत बी0ए0 प्रथम वर्ष की कक्षाओं में थोड़े से छात्र/छात्राओं, प्राचार्य, प्राध्यापकों से इस संस्था का शुभारंभ हुआ। तब से महाविद्यालय रूपी यह पौधा क्षेत्र की जागरूक जनता के सहयोग से सिंचित होता रहा है और आज अपने समस्त स्टाफ सहित यह एक वटवृक्ष बनता जा रहा है, जिसकी छाया में विद्यार्थी ज्ञान का पाठ पढते हैं।
वर्ष 2014-15 में महाविद्यालय के अपने भवन का निर्माण स्थानीय जनता द्वारा दान की गयी भूमि पर प्रारम्भ हुआ था। इस प्रयास का सुफल यह हुआ कि शैक्षिक सत्र 2017-18 से नवीन महाविद्यालय भवन अध्ययन हेतु उपलब्ध हो गया। साथ-साथ रूसा (राष्ट्रीय उच्चत्तर शिक्षा अभियान) के अन्तर्गत महाविद्यालय भवन परिसर में आधुनिक (हाईटैक) तकनीकी स्मार्ट क्लासेज आधारित कक्ष हैं जिसके माध्यम से वैश्विक तकनीकी, सूचना, व्यवहारिक एवं व्यवसायी शिक्षा में छात्र शिक्षक वृहद एवं उच्चकोटि का ज्ञान ग्रहण कर रहे हैं। महाविद्यालय अपने सीमित संसाधनों के फलस्वरूप सम्पूर्ण जौनपुर क्षेत्र में उच्च शिक्षा की आवश्यकता की पूर्ति हेतु निरन्तर प्रयत्नशील है। स्थापना वर्ष के समय से महाविद्यालय का अपना भवन न होने के कारण यह महाविद्यालय सामुदायिक विकास भवन में 14 वर्षों तक संचालित होता रहा।
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